Bakr-Eid
बकरा ईद क्या है
बकरा ईद मुस्लिम समुदाय का एक बहुत बड़ा पर्व है जिसमें वो लोग उस दिन बकरे की बलि देते हैं
वो मानते है कि बकरे की बलि देने से उनसे अल्लाह प्रसन्न होता है ओर उन्हे जन्नत की प्राप्ति होगी
क्यों मनाई जाती है बकरा ईद
इस्लाम में बलिदान का बहुत अधिक महत्व है। इस्लाम धर्म में मान्यता है कि अपनी सबसे प्यारी चीज रब की राह में खर्च करो। रब की राह में खर्च करने का अर्थ नेकी और भलाई के कामों में खर्च करने से है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में भी यह पर्व मनाया जाता है।
क्या एक बकरे की बलि देने से अल्लाह खुश होते है ,इक निर्दोष जीव की हत्या से अल्लाह खुश केसे हो सकते है ।मुसलमान समुदाय को पूर्ण ज्ञान नहीं होने के कारण वो जीव हत्या करते है हमारे शास्त्रों में खी नहीं लिखा है ,जीव हत्या से मोक्ष मिलेगा।
ओर ये संत रामपाल जी महाराज ने साबित करके दिखाया है हमारे सद ग्रन्थों को खोल खोलकर प्रमाण सहित बताया है।
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👉हज़रत मुहम्मद जी जैसी इबादत आज का कोई मुसलमान नहीं कर सकता। उन्होंने मरी हुई गाय को अपनी शब्द शक्ति से जीवित किया था, कभी मांस नहीं खाया।
जबकि आज सर्व मुस्लिम समाज मांस खा रहा है, जो अल्लाह का आदेश नहीं है।
👉वर्तमान में सर्व मुसलमान श्रद्धालु माँस खा रहे हैं। परन्तु नबी मुहम्मद जी ने कभी माँस नहीं खाया तथा न ही उनके सीधे अनुयाईयों (एक लाख अस्सी हजार) ने माँस खाया।
केवल रोजा व बंग तथा नमाज किया करते थे। गाय आदि को बिस्मिल(हत्या) नहीं करते थे।
नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया।
एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।।
👉परमात्मा कबीर ने कलमा पढ़कर जीवों की हत्या करने वाले मुल्ला काज़ियों को लताड़ते हुए कहा है कि जिन निर्दोष जीवों की हत्या तुम कर रहे हो इन सभी पापों का लेखा जोखा अल्लाह तुमसे जरूर लेंगे। तब कोई बचाने वाला नहीं होगा।
वह संत सभी धर्म ग्रंथों का पूर्ण जानकार होता है।
वर्तमान में केवल सतगुरु रामपाल जी महाराज ही हैं जो सभी सद्ग्रन्थों के पूर्ण जानकार हैं, उनके द्वारा बताई गई भक्ति विधि भी पूर्ण रूप से शास्त्रों से प्रमाणित है।
बकरा ईद मुस्लिम समुदाय का एक बहुत बड़ा पर्व है जिसमें वो लोग उस दिन बकरे की बलि देते हैं
वो मानते है कि बकरे की बलि देने से उनसे अल्लाह प्रसन्न होता है ओर उन्हे जन्नत की प्राप्ति होगी
क्यों मनाई जाती है बकरा ईद
इस्लाम में बलिदान का बहुत अधिक महत्व है। इस्लाम धर्म में मान्यता है कि अपनी सबसे प्यारी चीज रब की राह में खर्च करो। रब की राह में खर्च करने का अर्थ नेकी और भलाई के कामों में खर्च करने से है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में भी यह पर्व मनाया जाता है।
क्या एक बकरे की बलि देने से अल्लाह खुश होते है ,इक निर्दोष जीव की हत्या से अल्लाह खुश केसे हो सकते है ।मुसलमान समुदाय को पूर्ण ज्ञान नहीं होने के कारण वो जीव हत्या करते है हमारे शास्त्रों में खी नहीं लिखा है ,जीव हत्या से मोक्ष मिलेगा।
ओर ये संत रामपाल जी महाराज ने साबित करके दिखाया है हमारे सद ग्रन्थों को खोल खोलकर प्रमाण सहित बताया है।
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👉हज़रत मुहम्मद जी जैसी इबादत आज का कोई मुसलमान नहीं कर सकता। उन्होंने मरी हुई गाय को अपनी शब्द शक्ति से जीवित किया था, कभी मांस नहीं खाया।
जबकि आज सर्व मुस्लिम समाज मांस खा रहा है, जो अल्लाह का आदेश नहीं है।
👉वर्तमान में सर्व मुसलमान श्रद्धालु माँस खा रहे हैं। परन्तु नबी मुहम्मद जी ने कभी माँस नहीं खाया तथा न ही उनके सीधे अनुयाईयों (एक लाख अस्सी हजार) ने माँस खाया।
केवल रोजा व बंग तथा नमाज किया करते थे। गाय आदि को बिस्मिल(हत्या) नहीं करते थे।
नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया।
एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।।
👉परमात्मा कबीर ने कलमा पढ़कर जीवों की हत्या करने वाले मुल्ला काज़ियों को लताड़ते हुए कहा है कि जिन निर्दोष जीवों की हत्या तुम कर रहे हो इन सभी पापों का लेखा जोखा अल्लाह तुमसे जरूर लेंगे। तब कोई बचाने वाला नहीं होगा।
वह संत सभी धर्म ग्रंथों का पूर्ण जानकार होता है।
वर्तमान में केवल सतगुरु रामपाल जी महाराज ही हैं जो सभी सद्ग्रन्थों के पूर्ण जानकार हैं, उनके द्वारा बताई गई भक्ति विधि भी पूर्ण रूप से शास्त्रों से प्रमाणित है।
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